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प्रेम का प्रतीक रामायण और स्वार्थ का प्रतीक महाभारत हैं:- ध्यान योगी महामंडलेश्वर श्री उत्तम स्वामी जी।

जितेन्द्र पंवार ।

डग (झालावाड़)

झालावाड़ जिले के डग कस्बे में चल रही श्रीमद दैवीय भागवत कथा एवं लक्ष्मीनारायण यज्ञ के चौथे दिन शनिवार को महामंडलेश्वर ध्यान योगी श्री उत्तम स्वामी महाराज ने देवी उपासना, राम जन्म, कृष्ण जन्म की कथाओं के प्रसंग सुनाए। कथा के चौथे दिन यजमान भैरूलाल मेहर भड़का, रामप्रसाद राठौर तथा मध्यप्रदेश एवं राजस्थान से आए गुरुभक्तों ने श्रीमद दैवीय भागवत एवं व्यास पीठ की पूजा अर्चना की एवं कथा वाचन प्रारम्भ हुआ जिसमे राम जन्म की कथा महात्मय सुनाकर महामंडलेश्वर ने कहा कि मां भगवती की उपासना से राम को रावण का वध करने की शक्ति मिली थी। उन्होंने कहा कि आज के समय में धन भाई, माता-पिता, परिवार में अहंकार उत्पन्न करता है जो अर्थ से अनर्थ कराता है। रामायण में अर्थ को महत्वता नहीं दी। परिवार के प्रति प्रेम का प्रमाण यह रामायण है और स्वार्थ का प्रमाण महाभारत है। कथा के दौरान मीरा की भक्ति पर मार्मिक भजन सुनाया। कथा के दौरान महाराज ने व्यास पीठ से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। कथा सुनने के लिए मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के सुवासरा विधायक हरदीपसिंह डंग, मण्डल अध्यक्ष दिलीपसिंह तरनोद सहित नाथद्वारा, प्रतापगढ़, कोटा, झालावाड़ भवानीमंडी सहित राजस्थान,मध्यप्रदेश के कई गुरु भक्त आए।

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